भागवत गीता के सारे 18 के 18 अध्याय को यथार्थ रूप में मूल स्वरूप में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। यहां पर आपको गीता के 18 के 18 अध्याय का संस्कृत और उसका हिंदी अनुवाद मिलेगा।
1. विषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः। (soul2growth.blogspot.com)
2. सांख्ययोगो नाम द्वितीयोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
3. कर्मयोगो नाम तृतीयोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
4. ज्ञानकर्मसंन्यास योगो नाम चतुर्थोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
5. कर्मसंन्यासयोगो नाम पंचमोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
6. आत्मसंयमयोगो नाम षष्ठोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
7. ज्ञानविज्ञानयोगो नाम सप्तमोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
8. अक्षर ब्रह्मयोगो नामाष्टमोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
9. राजविद्याराजगुह्ययोगो नाम नवमोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
10. विभूतियोगो नाम दशमोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
11. विश्वरूपदर्शनयोगो नामैकादशोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
12. भक्तियोगो नाम द्वादशोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
13. क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगो नाम त्रयोदशोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
14. गुणत्रयविभागयोगो नामचतुर्दशोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
15. पुरुषोत्तमयोगो नाम पञ्चदशोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
16. दैवासुरसम्पद्विभागयोगो नाम षोडशोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
17. श्रद्धात्रयविभागयोगो नाम सप्तदशोऽध्याय : (soul2growth.blogspot.com)
18. मोक्षसन्न्यासयोगो नामाष्टादशोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)
भगवद् गीता हमारे लिए और हमारे समाज के लिए कई महत्त्वपूर्ण संदेश और सिख देती है।
- धर्म की शिक्षा: गीता में धर्म के महत्व का जिक्र है और यह बताती है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
- जीवन में संतुलन: इसमें बताया गया है कि हमें अपने कर्मों को निर्दोषता से करना चाहिए और समय-समय पर अपनी भावनाओं को संतुलित करना चाहिए।
- समाधान और आत्मा की शक्ति: गीता ने समाधान और आत्मा की शक्ति को प्रमोट किया है, जो हमें जीवन में सभी परिस्थितियों का सामना करने में मदद करता है।
- समाज में शांति और सामंजस्य: गीता में व्यक्त की जिम्मेदारियों का आदान-प्रदान करने का महत्त्व बताया गया है, जो एक समृद्ध और शांतिपूर्ण समाज के लिए आवश्यक है।
इसके साथ ही, भगवद् गीता मनोबल और आत्मविश्वास में भी सुधार करती है जो कि हमारे भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसे अपनाने से हम अपने जीवन में सामंजस्य, धैर्य, और नैतिकता बढ़ा सकते हैं, जो आने वाले समय में हमें अधिक मजबूत और सकारात्मक बना सकता है।
श्रीमद् भगवद् गीता, महाभारत के भीष्म पर्व में एक दानवी संवाद के रूप में प्रस्तुत है। यह कृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ विवादों और धर्म के मामले पर हुए संवाद का वर्णन करता है। गीता में जीवन, कर्म, ध्यान, भक्ति और विज्ञान के विषयों पर बात की गई है। इसमें युद्ध के समय अर्जुन की उदासीनता और विवेकाभास को दूर करने के लिए कृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म और मोक्ष के बारे में शिक्षा दी। गीता में समग्र जीवन को संतुलित तरीके से जीने के लिए दिशा प्रदान की गई है।
श्रीमद् भगवद् गीता का विचार और संदेश अत्यंत गहरा और संवेदनशील है। यहाँ पर हम बहुत संक्षेप में गीता के प्रमुख बिंदुओं को समझाने का प्रयास कर सकते हैं:
- कर्म योग: कर्म का पूरा उत्सर्जन करने का धर्म, यानी कर्म करना हमारा कर्तव्य है, परन्तु फल का आसक्त न होकर कर्म करना चाहिए।
- भक्ति योग: भगवान की भक्ति में लगन और समर्पण के माध्यम से आत्मा का मोक्ष होता है।
- ज्ञान योग: आत्मा और ब्रह्म के अद्वितीयता को समझकर मोक्ष की प्राप्ति की ओर बढ़ना।
- सांख्य योग: जीवन की जटिलताओं को समझने के लिए विचार का अध्ययन करना।
गीता धर्म, मोक्ष, और अध्यात्म के बारे में ज्ञान प्रदान करती है, और यहां उल्लिखित योगों के माध्यम से मनुष्य को उसके आध्यात्मिक उद्देश्य की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
भागवत गीता के सारे अध्याय यानी 1 से लेकर 18 तक अध्याय को यथार्थ रूप में मूल स्वरूप में पढ़ने के लिए इस वेबसाइट के मेनू बार में जाए। यहां पर आपको गीता के 1 से लेकर 18 अध्याय का संस्कृत और उसका हिंदी अनुवाद मिलेगा।