संक्षिप्त में वर्णन।
भगवद् गीता के नौवें अध्याय में, भगवान श्रीकृष्ण ने ‘राजविद्या राजगुह्य’ के रूप में सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान की महिमा को बताया है। इस अध्याय में उन्होंने संसारिक जीवन और आत्मा के विषय में विस्तार से चर्चा की है।
इस अध्याय में उन्होंने सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान के अंतर को बताया है और इनका महत्त्व जीवन में कैसे है। भगवान ने अनासक्ति और सकाम कर्म के बीच का अंतर समझाया है। उन्होंने यहां प्रकट किया है कि भगवान को विश्व के सम्पूर्ण वस्तुओं के संबंध में साकार और निराकार रूप से पूजा जा सकता है। इस अध्याय में भक्ति की महिमा, उसका मार्ग और भक्ति के फल का वर्णन किया गया है।
भागवत गीता के नौवें अध्याय को यथार्थ रूप में मूल स्वरूप में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। यहां पर आपको गीता केनौवें अध्याय का संस्कृत और उसका हिंदी अनुवाद मिलेगा।
राजविद्याराजगुह्ययोगो नाम नवमोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)