संक्षिप्त में वर्णन।
भगवद् गीता के तेरहवें अध्याय में, भगवान श्रीकृष्ण ने शरीर, मन, बुद्धि, और आत्मा के विषय में ज्ञान को समझाया है। इस अध्याय में वे अर्जुन को शरीर और शरीर के संबंध में ज्ञान देते हैं, ताकि वह इस शारीरिक जगत् को अधिक समझ सके।
भगवान ने यहाँ शरीर के अंगों और इन्द्रियों के विषय में चर्चा की है, और उन्हें विवरण से समझाया है। इस अध्याय में ज्ञान के माध्यम से अनात्मा और आत्मा के अंतर की चर्चा होती है, ताकि जीवन में आत्मज्ञान की प्राप्ति हो सके।
भगवान श्रीकृष्ण ने यहाँ जीवन के प्रत्येक पहलू को समझाया है और आत्मा के स्वरूप का वर्णन किया है, ताकि मनुष्य अपने अन्तरात्मा को समझ सके और साधना मार्ग पर चल सके।
भागवत गीता के तेरहवें अध्याय को यथार्थ रूप में मूल स्वरूप में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। यहां पर आपको गीता के तेरहवें अध्याय का संस्कृत और उसका हिंदी अनुवाद मिलेगा।
क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगो नाम त्रयोदशोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)