संक्षिप्त में वर्णन।
भगवद् गीता के 15वें अध्याय में भगवान कृष्ण वृक्ष की तुलना में संसार को बताते हैं। उन्होंने समझाया कि यह संसार एक अश्वत्थ वृक्ष की तरह है, जिसकी जड़ें मृत्युलोक में, और शाखाएं स्वर्ग और नरकों में हैं। परमात्मा ही इस वृक्ष की जड़ है, और हमारा अनन्त संसारिक संबंध उसी से है। यहां भगवान कृष्ण ने मानव जीवन की अनित्यता और परमात्मा के प्रति भक्ति का महत्व बताया है, जो मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है।
इस अध्याय में परमात्मा का स्वरूप और उसका संसार से का संबंध विस्तार से बताया गया है। यहाँ भगवान कृष्ण ने परमात्मा के स्वरूप का वर्णन किया है, जिसे समझकर ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। उन्होंने समझाया है कि जब हम परमात्मा की प्राप्ति की ओर अग्रसर होते हैं, तो हम भवरोग से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
इस अध्याय में भगवान कृष्ण ने संसार के अस्तित्व की व्याख्या की है और हमें बताया है कि हमारा आत्मा परमात्मा से जुड़ा हुआ है। यहां वे मोक्ष के लिए आत्मा को परमात्मा से जोड़ने के बारे में बताते हैं, जो हमारे अंतिम मोक्ष की ओर ले जाता है। यहां भगवान कृष्ण ने आत्मा की अनंत शक्तियों और परमात्मा के साथ उसके संबंध का महत्वपूर्ण वर्णन किया है।
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पुरुषोत्तमयोगो नाम पञ्चदशोऽध्यायः (soul2growth.blogspot.com)