आखिर सुख है क्या और आप कितना जानते हैं सुख के बारे मैं

परिचय

हमारी इस समाज में सुख के बारे में कहता हर कोई है और सुख चाहता, हर कोई है पर उसे समझता कोई नहीं. मैं आपकी अंदर की भावनाओं को समझ पा रहा हूं। आप यही सोच रहे हैं ना कि हम बचपन से सुख के बारे में सुनते आ रहे हैं हम बचपन से अपने बड़ों से सुनते आ रहे हैं कि सुख है क्या? और इसको हमने अपनी इच्छाशक्ति से जाना और समझा भी है पर मेरा सवाल आप सब से यही है क्या आप सुख के मूलभूत स्वरूप को जानते और समझते भी हैं।

इस चर्चा को और आगे ना बढ़ाते हुए सुख के मूलभूत स्वरूप को कुछ उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करते हैं।

वह गरीब जो रास्ते पर कुटिया बांध के रहता है उसके लिए सुख क्या है

वह गरीब इंसान जो रास्ते पर कुटिया बांध के रहता है उसके लिए सुख अच्छा भोजन और एक छोटा सा पक्का घर है

वह गरीब जिसके पास पक्का घर और अच्छा भोजन है उसके लिए सुख क्या है

गरीब जिसके पास पक्का घर और अच्छा भोजन है उसके लिए सुख एक लग्जरी हाउस या बंगलो और एक कार उसके लिए सुख है।

वह इंसान जिसके पास लग्जरियस हाउस और कार है उसके लिए सुख क्या है?

इंसान जिसके पास लग्जरियस हाउस और कार है उसके लिए सुख एक अच्छा और संस्कारी परिवार, जो परस्पर एक-दूसरे से प्रेम और एक-दूसरे का आदर करते हो.

वह इंसान जिसके पास लग्जरियस हाउस और अच्छा और एक दूसरे को सम्मान देने वाला परिवार हो उसके लिए सुख क्या है?

वह इंसान जिसके पास लग्जरियस हाउस और अच्छा और एक दूसरे को सम्मान देने वाला परिवार हो उसके लिए सुख यह है कि उस का परिवार धर्म का पालन करते हो और उस व्यक्ति का समाज में बहुत मान सम्मान और आदर होता हो.

जरा ध्यान देने वाली बात यह है कि सुख की परिभाषा कैसे-कैसे अलग-अलग परिस्थितियों में अपने हिसाब से बदलती है। यानी सुख की परिभाषा एक नहीं है। वह परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है

इसका मतलब सुख का स्वरूप स्थिर नहीं है। वह परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है और इंसान को सुख पाने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहना ही पड़ता है।

और यह एक मानक डंडों पर बिल्कुल सही है क्योंकि प्रयास करने से ही समाज का विकास होगा। खुद का विकास होगा। अगर परिस्थितियां सुख के हर आयाम पर एक समान रही तो कोई भी सुख पाने के लिए प्रयास नहीं करेगा और समाज का विकास हमारा खुद का विकास इस संसार का विकास सब स्थिर और रुक जाएगा। और ऐसी अवस्था में विनाश भी हो सकता है इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हर इंसान हर परिस्थिति में अपने विकास के लिए प्रयत्नशील रहे.

। राधे कृष्णा । राधे कृष्णा । राधे कृष्णा ।