ज्ञानविज्ञानयोगो नाम सप्तमोऽध्यायः

संक्षिप्त में वर्णन।

श्रीमद् भागवत गीता के सातवें अध्याय में, भगवान कृष्ण ने भक्ति और ईश्वरीय विश्वास की महिमा का वर्णन किया है। उन्होंने यहां व्यक्त किया है कि भक्ति क्या होती है, और इसका कैसे प्रकार होता है। इस अध्याय में उन्होंने भक्ति के विभिन्न रूपों और उनके महत्त्व को समझाया है। भगवान कृष्ण ने इसमें अपने भक्तों के प्रति अपनी अनन्य भक्ति की महिमा को बताया है और उन्हें अपने समर्पण में ईश्वर के प्रति आदर्श रूप से जुड़ने की सलाह दी है।

गीता के सातवें अध्याय में, भगवान कृष्ण ने भक्ति और विश्वास के महत्त्व को बताया है। उन्होंने यहां भक्ति की विभिन्न रूपों और इसके महत्त्व को समझाया है। भगवान ने भक्ति के आठ प्रकारों को बताया है और उन्हें विस्तार से वर्णन किया है। इस अध्याय में भक्ति के साधनों, उसकी शक्ति, और ईश्वर में अद्वितीय विश्वास की बात की गई है। भक्ति के माध्यम से भगवान के समीप आने की विशेषता को समझाया गया है।

भागवत गीता के सातवें अध्याय को यथार्थ रूप में मूल स्वरूप में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। यहां पर आपको गीता के सातवें अध्याय का संस्कृत और उसका हिंदी अनुवाद मिलेगा। 

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